स्मृति शेष : कौन थे सच्चिदानंद सिन्हा? जिनको माना गया समाजवादी विचारधारा का प्रखर योद्धा

IANS | November 19, 2025 9:20 PM

पटना, 19 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय समाजवाद के स्तंभ और प्रखर चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका बुधवार को मुजफ्फरपुर में निधन हो गया। वह 96 साल के थे। सच्चिदानंद सिन्हा एक विचारक तो थे ही, बल्कि एक ऐसे महान व्यक्तित्व थे, जिन्होंने समाजवाद की हिंसा-रहित संघर्ष की धारा को ढालने का काम किया।

एआई कवर आर्ट ने मचाया हड़कंप, न्यूजीलैंड बुक अवॉर्ड से दो बड़े लेखकों की किताबें हुईं बाहर

IANS | November 18, 2025 8:53 PM

नई दिल्ली, 18 नवंबर (आईएएनएस)। न्यूजीलैंड के प्रतिष्ठित ओखम बुक अवॉर्ड्स ने इस वर्ष एक ऐसा फैसला लिया जिसने साहित्यिक दुनिया में हंगामा मचा दिया है। देश के दो प्रमुख लेखकों स्टेफनी जॉनसन और एलिजाबेथ स्मिदर, को पुरस्कार की रेस से बाहर कर दिया गया क्योंकि उनकी किताबों की कवर डिजाइन में एआई-जेनेरेटेड इमेजरी शामिल पाई गई।

गजानन माधव मुक्तिबोध : प्रगतिवाद के 'चट्टान' से कवि, जिनकी लंबी कविताएं हिंदी साहित्य का इतिहास बन गईं

IANS | November 12, 2025 11:04 PM

नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। यह कहानी है लेखनी के तेज और प्रखर विचारधारा के जीवंत साक्ष्य माने गए, गजानन माधव मुक्तिबोध की। वे आधुनिक हिंदी कविता और समीक्षा के सर्वाधिक चर्चित व्यक्तित्व थे। प्रगतिवाद के प्रखर और मौलिक चिंतक आलोचकों में मुक्तिबोध का नाम सर्वाधिक प्रमुख है। समाज को नई दिशा देने वाली कालजयी रचनाओं के जरिए उन्होंने हमेशा जागरूक और प्रेरित किया। उनकी रचनाएं आज भी सभी के मार्गदर्शन का स्रोत हैं।

डेविड स्जेले को मिला बुकर प्राइज, क्यों जूरी ने माना 'फ्लेश' है ‘सिंगुलर अचीवमेंट’

IANS | November 11, 2025 2:51 PM

नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। लंदन में आयोजित बुकर प्राइज 2025 समारोह में डेविड शजाले की नई उपन्यास फ्लेश को वह सम्मान मिला जिसकी अवहेलना करना मुश्किल था। जूरी ने इसे "सिंगुलर अचीवमेंट" (विलक्षण उपलब्धि) कहा—एक ऐसा उपन्यास जिसे, उनके शब्दों में, उन्होंने "पहले कभी नहीं पढ़ा।" फ्लेश को यह विशिष्ट स्थान सिर्फ उसके विषयों के कारण नहीं, बल्कि उसकी अनोखी शैली, उसकी चुप्पियों, और उसके पात्र 'इस्तवां' की उस मौजूदगी से मिला जो पन्नों के बीच होते हुए भी अज्ञात बनी रहती है।

विश्व उर्दू दिवस : हिंदी के शब्दों का श्रृंगार बनी उर्दू कैसे खुद सजी और भाषाई समृद्धि की भी बनी पोषक, जानें लेखकों की राय

नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। भाषा केवल संवाद का नहीं बल्कि आपकी संवेदना और सांस्कृतिक समृद्धि का भी परिचायक है। भाषा के तौर पर आपको हमेशा यह एहसास उसमें रचे-बसे शब्दों के जरिए होता रहता है कि वह आपकी सोच और समझ को कितना प्रभावित करती है और आपके दिल को कितना छूती है। अंग्रेजी में शब्दों को एक बार गौर से देखें तो आपको पता चलेगा कि भावनाओं को व्यक्त करने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग हो रहा है वह शब्द आपके मन में एक सपाट स्पर्श छोड़ते हैं। ऐसा हिंदी या उर्दू जैसी भाषा के शब्दों के साथ नहीं है। इसमें हर शब्द की एक अलग संवेदना और संरचना है जो गहराई तक जाकर आपके मनोभाव पर असर करती है।

विश्व उर्दू दिवस: हिंदी की माटी पर भाषा का 'उर्दू' वाला श्रृंगार, आखिर आज की युवा पीढ़ी को क्यों पसंद आ रहा? जानिए मशहूर लेखकों की राय

नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। भाषा कोई भी हो उसकी समृद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जाता है कि वह भौगोलिक दृष्टि से कितने परिवेश तक सहज और सरल तरीके से प्रभाव छोड़ रही है। यही वजह है कि हिंदी और उर्दू जैसी भाषाएं अपनी सहजता और सरलता के साथ दुनिया के हर भौगोलिक क्षेत्र तक अपनी पहुंच बनाने में कामयाब रही हैं।

हिंदी कविता के 'एंग्री यंग मैन' : मजदूरों की पीड़ा को शब्द देने वाले धूमिल, पूंजीपतियों पर भी उठाए सवाल

IANS | November 8, 2025 4:53 PM

नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। सुदामा पांडेय 'धूमिल' की कविताएं न सिर्फ आजादी के सपनों के मोहभंग को उजागर करती हैं, बल्कि पूंजीवाद, राजनीति और आम आदमी की विवशता पर करारा प्रहार करती हैं। यही कारण है कि चालीस के दशक में जन्मे इस कवि की कविताएं आज के दौर में भी प्रासंगिक हैं।

जौन जिंदगीनामा : लम्हों को गंवाने में उस्ताद, 'झगड़ा क्यूं करें हम' का सिखाया जीवन-दर्शन

IANS | November 7, 2025 4:41 PM

नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएस)। हवा में एक उदास सिसकी घुली हुई है, जैसे कोई अधूरी गजल रुक-रुक कर सांस ले रही हो। अपनी नज्मों और नगमों से जख्मों को फूलों में बदलने वाले शायर जौन एलिया की 8 नवंबर को पुण्यतिथि है, उनको गुजरे कई बरस हो गए। हालांकि, अपनी शायरी के साथ वह अमर हैं और उसी शायरी में झलकता था, उनका जन्मभूमि अमरोहा के प्रति प्रेम और लगाव।

विशेष : नारीवाद पर खुलकर बोलने वाली लेखिका प्रभा खेतान, जब खुद की आत्मकथा से साहित्य जगत को चौंकाया

IANS | October 31, 2025 11:32 PM

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। औरतों के लिए दुनिया अजीबो-गरीब रही है। इसको करीब से जीने वालीं महिलाओं में भारतीय-साहित्य की विलक्षण बुद्धिजीवी प्रभा खेतान भी थीं। अपने जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर करने वाली आत्मकथा 'अन्या से अनन्या' लिखकर सौम्य और शालीन प्रभा खेतान ने साहित्य जगत को चौंकाया था।

जन्मदिन विशेष : जिनके शब्दों ने हिंदी साहित्य को दी नई दृष्टि, निर्भीक लेखिका मृदुला गर्ग की कहानी

IANS | October 24, 2025 9:03 PM

नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। हिंदी साहित्य की दुनिया में मृदुला गर्ग एक ऐसा नाम है, जिन्होंने अपने लेखन से न सिर्फ परंपराओं को चुनौती दी बल्कि पाठकों को सोचने पर मजबूर किया। समान रूप से हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लेखन करने वाली मृदुला गर्ग ने लगभग हर विधा में अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया है। आठ उपन्यास, चार नाटक, चार निबंध संग्रह, एक संस्मरण, एक यात्रा वृत्तांत और 90 से अधिक कहानियां, यह उनकी अब तक की सृजन-यात्रा का प्रमाण हैं।