हिंदी रंगमंच की शान है असगर वजाहत का नाटक ‘जिन लाहौर नइ वेख्या ओ जम्याइ नइ’
नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। जब भी भारत-पाकिस्तान विभाजन के दर्द और उसकी साहित्यिक अभिव्यक्ति की बात होती है, तो असगर वजाहत का नाम खुद ही जेहन में उभरता है। उनका नाटक ‘जिन लाहौर नइ वेख्या ओ जम्याइ नइ’ हिंदी रंगमंच का एक ऐसा मील का पत्थर है, जो 1947 के विभाजन की त्रासदी को न केवल गहरी संवेदनशीलता के साथ उकेरता है, बल्कि मानवता और सांप्रदायिक सौहार्द का एक शक्तिशाली संदेश भी देता है।