पुण्यतिथि विशेष: भारतीय राजनीत के 'योगी' को गढ़ने वाले महंत अवैद्यनाथ ने कैसे बदला भारतीय राजनीति का परिदृश्य
नई, दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। साल था 1998। जगह उत्तराखंड का पंचूर गांव। कभी वन विभाग में रेंजर रहे आनंद सिंह बिष्ट के दरवाजे पर दस्तक होती है। उनकी पत्नी सावत्री देवी दरवाजा खोलती हैं। दरवाजे पर साधु के वेश में दो लोग खड़े थे। एक बुजुर्ग गुरु और साथ में 27 साल का युवा शिष्य। दोनों साधु सावित्री देवी से भिक्षा मांगते हैं।