कालीघाट काली मंदिर : तंत्र विद्या सिद्धि के लिए प्रसिद्ध, माता सती और शिव से भी जुड़ा रहस्य

कालीघाट काली मंदिर: तंत्र विद्या सिद्धि के लिए प्रसिद्ध है मां काली का ये मंदिर, मां सती और शिव से जुड़ा है मंदिर का रहस्य

कोलकाता, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। जहां सृष्टि की उत्पत्ति और संचालन की बात आती है, तीनों त्रिदेवों का नाम सबसे पहले लिया जाता है। लेकिन, सृष्टि का संचालन मां दुर्गा के बिना अधूरा है। वे प्रकृति का सरल रूप हैं, जो सृजन और विनाश दोनों की ताकत रखती हैं।

मां के इसी उग्र रूप को दर्शाता पवित्र शक्तिपीठ में शामिल मंदिर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित है, जहां मां का आशीर्वाद लेने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं।

मां दुर्गा के उग्र रूप को समर्पित कालीघाट काली मंदिर 51 शक्ति पीठों में शामिल है। यहां मां अकेले विराजमान नहीं हैं, बल्कि भगवान शिव भी मौजूद हैं। मंदिर के गर्भगृह में मौजूद मां काली की प्रतिमा बेहद अद्भुत है, जिसे काले पत्थर पर बारीकी से उकेरा गया है। मां के चार हाथ हैं, बड़ी आंखें और लंबी जीभ भी है, जो उनके उग्र रूप को पूरा करती है।

मंदिर की पौराणिक कथा भगवान शिव की पीड़ा और मां सती के दाह से जुड़ी है। माना जाता है कि इसी स्थान पर शिव के तांडव के दौरान सती के शरीर का एक अंग गिरा था। यहां शक्ति स्वरूप मां सती के दाहिने पैर की उंगलियां गिरी थीं। मां सती के रक्षक के तौर पर नकुलेश्वर भैरव भी प्रकट हुए। यहां नकुलेश्वर भैरव का एक 'स्वयंभू लिंगम' है, जो मां की रक्षा के लिए तैनात है।

एक अन्य पौराणिक कथा की मानें तो भक्त भागीरथ को नदी से निकलती एक रोशनी दिखी थी, जब उन्होंने वहां जाकर देखा तो मानव रूपी अंगूठा नजर आया और साथ में शिवलिंग भी। भागीरथ ने दोनों की पूजा की और मंदिर के रूप में स्थापित किया, जिन्हें बाद में नकुलेश्वर भैरव के नाम से जाना गया।

पहले मंदिर छोटी सी झोपड़ी के आकार का था, लेकिन बाद में 16वीं शताब्दी में राजा मानसिंह ने मंदिर का निर्माण करवाया। उसके बाद बड़े और अद्भुत मंदिर का निर्माण बानिशा के सबर्ण रॉय चौधरी ने करवाया। मंदिर के प्रांगण में एक चमत्कारी कुआं भी मौजूद है, जिसे मां गंगा जितना पवित्र बताया गया है। कहा जाता है कि जिन दंपति को संतान प्राप्ति में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, वे अगर कुंड में स्नान करते हैं, तो उन्हें दिव्य संतान की प्राप्ति होती है।

मां काली का मंदिर तंत्र विद्या और अघोर साधना के लिए प्रसिद्ध है। अघोरी मां के मंदिर में तंत्र विद्या को सिद्ध करने के लिए अनुष्ठान करते हैं। मंगलवार और शुक्रवार को मंदिर में भक्तों की ज्यादा भीड़ लगती है। मनोकामना पूरी होने पर भक्त मां के सामने बलि भी देते हैं।

--आईएएनएस

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