गाजियाबाद के युवक को 'इच्छा मृत्यु' देने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- माता-पिता से बात करने के बाद होगा फैसला

गाजियाबाद के युवक को 'इच्छा मृत्यु' देने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- माता-पिता से बात करने के बाद होगा फैसला

गाजियाबाद, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। पिछले करीब 12 साल से अचेत अवस्था में बिस्तर पर पड़े गाजियाबाद के हरीश राणा को पैसिव यूथेनेशिया (इच्छा मृत्यु) देने पर कोई फैसला लेने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक बार उनके घरवालों से बात करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए कोर्ट ने लड़के के माता-पिता को 13 जनवरी को आने को कहा है।

100 फीसदी दिव्यांगता के शिकार हो चुके बेटे के ठीक होने की उम्मीद छोड़ चुके हरीश के माता-पिता ने ही उसे इच्छामृत्यु देने की मांग की है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हरीश राणा की मेडिकल हालत को लेकर एम्स को रिपोर्ट देने को कहा था। गुरुवार को एम्स की रिपोर्ट देखकर जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने गहरी निराशा जाहिर की।

जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि यह बेहद दुखद रिपोर्ट है। यह हमारे लिए मुश्किल फैसला है, लेकिन हम इस लड़के को यूं अपार दुख में नहीं रख सकते। हम उस स्टेज में हैं, जहां आज हमें आखिरी फैसला लेना होगा।

कोर्ट ने रिपोर्ट की कॉपी एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और याचिकाकर्ता के वकील रश्मि नंदकुमार को भी देने को कहा है। कोर्ट ने दोनों वकीलों से आग्रह किया है कि वे रिपोर्ट का अध्ययन कर लड़के के घरवालों से बात करें और फिर अपनी राय से कोर्ट को अवगत कराएं।

कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लड़के के घरवालों से बात करना सही नहीं रहेगा। इसलिए कोर्ट ने उनसे आग्रह किया है कि 13 जनवरी को दोपहर 3 बजे लड़के के माता-पिता कमेटी रूम में मौजूद रहें। कोर्ट उनसे बात कर इस बारे में अंतिम फैसला लेगा।

एम्स से पहले सुप्रीम कोर्ट ने गाजियाबाद के जिला अस्पताल से रिपोर्ट मांगी थी। उस रिपोर्ट में भी कहा गया था कि हरीश की हालत बेहद ही खराब है। उसके ठीक होने की कोई संभावना नहीं है।

गौरतलब है कि चंडीगढ़ में रहकर पढ़ाई कर रहे हरीश 2013 में अपने हॉस्टल की चौथी मंजिल से गिर गए थे। इससे उनके सिर में गंभीर चोटें आईं थीं। उसके बाद से वह लगातार बिस्तर में अचेत हालत में हैं। लगातार बिस्तर पर पड़े रहने के कारण उनके शरीर पर घाव बन गए हैं।

--आईएएनएस

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