सौम्य रूप, माथे पर घंटे के आकार का चमकता अर्धचंद्र, जानें क्यों तृतीया तिथि को पूजी जाती हैं मां चंद्रघटा?
नई दिल्ली, 31 मार्च (आईएएनएस)। 'या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।' ये उस देवी का महामंत्र है जिन्हें मां चंद्रघंटा कहते हैं। मां का रूप अत्यंत शांत, सौम्य और ममता से परिपूर्ण है, जो अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करता है। इनके दस बाहु हैं और इन्हें सुगंध प्रिय है। अब सवाल यही है कि मां की आराधना तृतीया तिथि पर ही क्यों की जाती है?