जेल की काली कोठरी से राजनीति के गलियारों तक हर क्षण बेदाग रहे 'आज़ाद'
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। झारखंड के गोड्डा जिले के मेहरमा प्रखंड स्थित एक गांव पड़ता है, नाम है कसबा। गांव छोटा नहीं है लेकिन, विकास की बयार से ज्यादा इस गांव को शिक्षा और सामाजिक शुचिता ने बड़ा बना दिया। इसी गांव की मिट्टी में पैदा हुआ एक बच्चा भागवत झा, कौन जानता था कि वह एक दिन इस देश की आजादी के लिए अंग्रेजों की लाठियां खाएगा, जेल की यातनाएं सहेगा। फिर आजादी के बाद जब देश को एक नेतृत्व की जरूरत होगी, खासकर उसके प्रदेश को तो वह राजनीति की काल कोठरी में कदम तो रखेगा, लेकिन बेदाग निकल आएगा।