मजाज लखनवी की इश्क़भरी ग़ज़लें, डिजिटल युग में भी दिलों को छूने वाली शायरी
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। ‘इश्क’ वह जज्बा है जो न दिन देखता है, न रात, न कोई बंदिश मानता है। जब सच्चा इश्क होता है, तो जिंदगी सातवें आसमान की सैर कराती है, जहां हर पल रंगीन और हर सांस खुशबूदार लगती है। लेकिन आज के डिजिटल दौर में, जहां प्यार सोशल मीडिया ऐप्स की स्वाइप्स और चैट्स तक सिमट गया है, सच्ची मोहब्बत की तलाश एक सपने-सी लगती है। ऐसे में उर्दू शायरी के बेताज बादशाह, मजाज लखनवी की गजल "जुनून-ए-शौक अब भी कम नहीं है" प्रेम की उस गहराई को बयां करती है, जो सीमाओं से परे है और आज भी दिलों को झकझोर देती है।