‘जनकवि’ आलोक धन्वा, जिनकी कविताओं में दिखती है पीड़ा, संघर्ष और आशा की कहानी
नई दिल्ली, 1 जुलाई (आईएएनएस)। ‘यह कविता नहीं है, यह गोली दागने की समझ है, जो तमाम कलम चलाने वालों को, तमाम हल चलाने वालों से मिल रही है।’ आलोक धन्वा, हिंदी साहित्य के ऐसे जनकवि हैं, जिन्होंने अपनी गहन और प्रभावशाली रचनाओं से समाज के शोषित-वंचित वर्गों की आवाज को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। सहज भाषा और गहरी सामाजिक चेतना के साथ उनकी लेखनी न केवल साहित्यिक मंचों पर गूंजती है, बल्कि खेतों-खलिहानों और कारखानों में भी जनता के दिलों को छूती है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से मेहनतकश जनता की आवाज को बुलंद किया और समाज की विसंगतियों और शोषण के खिलाफ एक तीखा प्रतिरोधी स्वर भी गढ़ा।