डिप्रेशन के बाद 'गोलमाल', लोगों को पता भी नहीं चला इस डायरेक्टर का दर्द, क्योंकि पर्दे पर उनकी फिल्म दर्शकों को गुदगुदाती रही
नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। मनोरंजन, मनोरंजन और मनोरंजन हिंदी सिनेमा इससे अलग कुछ और नहीं रही। हालांकि इस सब के बीच सिनेमा ने आईने की तरह समाज को उसका स्वरूप भी दिखाया और साथ ही वह संदेश देने में भी कामयाब रही। सिनेमा जब बिना आवाज के थी तो भी यह मनोरंजन का ही जरिया थी। क्रमवार सिनेमा ने अपनी विकास यात्रा में कई नए आयाम जोड़े। सिनेमा के पर्दों पर दृश्य काले-सफेद से रंगीन हो गए।