सांस्कृतिक समृद्धि और राजनीतिक चेतना का केंद्र बिहार, कैसे बना जातिवादी पॉलिटिक्स का अखाड़ा?
पटना, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। राजा जनक, जरासंध, कर्ण, सीता, कौटिल्य, चन्द्रगुप्त, मनु, याज्ञवल्क्य, मण्डन मिश्र, भारती, मैत्रेयी, कात्यानी, अशोक, बिन्दुसार, बिम्बिसार, से लेकर बाबू कुंवर सिंह, बिरसा मुण्डा, बाबू राजेन्द्र प्रसाद, रामधारी सिंह दिनकर, फणीश्वर नाथ रेणु, नार्गाजुन और न जाने कितने महान तेजस्वियों को जनने वाली मध्य पूर्व भारत का राज्य बिहार जो सांस्कृतिक समृद्धि का केंद्र रहा और आज वही बिहार सामाजिक और राजनीतिक दोनों खंडों में जातिवाद के दंश को झेल रहा है।