जन्मदिन विशेष: गुलजार के हाथों में कमाल, शब्द ही नहीं गढ़े 'बोस्की' की हर छोटी बड़ी इच्छाओं का भी रखा मान
मुंबई, 17 अगस्त (आईएएनएस)। हिंदी सिनेमा और साहित्य की दुनिया में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जो समय के साथ फीके नहीं पड़ते, बल्कि और भी चमकते हैं। गुलजार उन्हीं में से एक हैं। उर्दू, पंजाबी, खड़ीबोली और हिंदी जैसी कई भाषाओं में उन्होंने जो कविताएं, गीत और कहानियां लिखी हैं, वो सीधे दिल में उतर जाती हैं। 18 अगस्त 1934 को झेलम (अब पाकिस्तान) में जन्मे गुलजार, जिनका असली नाम संपूरण सिंह कालरा है, आज भी अपनी सादगी, संवेदनशीलता और शब्दों की गहराई से लोगों को बांध लेते हैं। लेकिन अगर गुलजार की जिंदगी को किसी एक नजरिए से सबसे गहराई से समझा जा सकता है, तो वो है उनकी बेटी मेघना गुलजार का!