वैश्विक हिन्दू बहुलवाद और सार्वभौमिक सद्भाव की एक अनकही कहानी
अबू धाबी, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। कुछ लोग धर्म को बांटने वाला मानते हैं, लेकिन मैंने हिन्दू परंपरा को जोड़ने वाला पाया है। 22 जनवरी 2024 की सुबह मैं 'सिया-राम' और 'स्वामीनारायण' का जाप करते हुए अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन समारोह को टीवी पर देख रहा था। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जा रहा था। उस समय मैंने देखा कि वहां मौजूद लोग अलग-अलग पंथों से थे, फिर भी एकता में बंधे हुए थे। शैव, शाक्त, वैष्णव, स्वामीनारायण, जैन, सिख, ईसाई और मुस्लिम सभी खुद को 'भारतीय' महसूस कर रहे थे।