हरदोई की रुइया गढ़ी के महानायक राजा नरपति सिंह, जिन्होंने 1857 में क्वीन विक्टोरिया के ममेरे भाई को मारकर जिले को डेढ़ साल रखा आजाद
हरदोई, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। जब इतिहास की किताबों में 1857 की क्रांति के नायकों का जिक्र होता है, तो नाम गिने-चुने होते हैं। मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे। लेकिन देश की मिट्टी में दर्ज वो पदचापें, जो आजादी की पहली धड़कन थीं, अक्सर उपेक्षित रह जाती हैं। क्या आपने कभी उस राजा का नाम सुना है, जिसकी सेना ने ब्रिटिश साम्राज्य की महारानी विक्टोरिया के ममेरे भाई को रणभूमि में मार गिराया? क्या आप जानते हैं कि हरदोई जैसे छोटे से जिले की रुइया गढ़ी से उठी एक चिंगारी ने इंग्लैंड तक को झुकने पर मजबूर कर दिया था? यह कहानी है राजा नरपति सिंह की, जो एक निडर योद्धा, एक न्यायप्रिय शासक और सच्चे देशभक्त थे। उनके साथ खड़े थे उनके परम विश्वासपात्र, बुद्धिमान और रणनीतिकार मंत्री वेदा मिश्र, जिनकी सोच, संयम और समर्पण ने इस क्रांति को इतिहास की सबसे अनसुनी, किंतु सबसे गौरवशाली लड़ाइयों में बदल दिया। यह केवल युद्ध की कथा नहीं, यह है उस जुनून की कहानी, जो अंग्रेजी हुकूमत के सामने झुका नहीं, बल्कि जल समाधि लेकर भी अमर हो गया। इन घटनाओं को हरदोई और उत्तर प्रदेश सरकार के गैजेटियर में विस्तार से बताया गया है।