विश्व साक्षरता दिवस : सनातन ने सबसे पहले जाना 'शिक्षा का मर्म', फिर दुनिया ने पहचाना
नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। विद्या एक ऐसी पूंजी है, जो जितनी ज्यादा बांटी जाए, उतनी ही बढ़ती है। कहा भी जाता है, "विद्या ददाति विनयं, विनयाद याति पात्रताम्। पात्रत्वात् धनम् आप्नोति, धनाद धर्मं ततः सुखम्॥"