स्मृति शेष : दो बार के प्रधानमंत्री, जो किराया न चुकाने पर हुए थे बेघर
नई दिल्ली, 3 जुलाई (आईएएनएस)। कुछ लोग इतिहास लिखते हैं और कुछ लोग इतिहास बन जाते हैं। गुलजारी लाल नंदा उन विरलों में थे जो चुपचाप इतिहास रचते चले गए। एक ऐसा नेता, जिसने संकट के समय दो बार देश की बागडोर संभाली, फिर भी सरकारी सुख-सुविधाओं की चाहत नहीं रखी। देश की आजादी की लड़ाई में उन्होंने जेल की यातनाएं सही, मजदूरों की आवाज बने और सत्ता के शिखर पर पहुंचकर भी सादगी की चादर ओढ़े रहे। उनका जीवन कोई प्रचार नहीं, बल्कि एक मौन तपस्या था। सत्ता में रहकर भी सत्ता से दूर, राजनीति में रहकर भी मूल्य और मर्यादा के साथ।