काशी का नाग कूप, पाताल लोक से है सीधा कनेक्शन, पूजन से दूर होते हैं कालसर्प-वास्तु दोष
वाराणसी, 17 अप्रैल (आईएएनएस)। “गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्…” रावण की रचना ‘शिव तांडव’ में भोलेनाथ के अद्वितीय रूप का वर्णन है। बाबा अपने गले में सर्पों का हार पहने हैं... जहां-जहां भोलेनाथ, वहां-वहां उनके परम भक्त नाग देव। ऐसे में भला शिव की निराली नगरी काशी की बात कैसे न की जाए। जहां एक तरफ संकरी गलियों में सहजता से चलते सांड मिल जाएंगे, तो वहीं दूसरी ओर धर्मनगरी में स्थित है नाग कूप, जिसका द्वार सीधा नागलोक में खुलता है।