भारत के 'पगनिनी' एल. सुब्रमण्यम : 6 साल की उम्र में दिया पहला परफॉर्मेंस, ग्रैमी में भी बजा था 'वायलिन' का डंका
नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय शास्त्रीय संगीत ने देश को अनगिनत रत्न दिए हैं, जिन्होंने न केवल इस देश की समृद्ध परंपरा को वैश्विक मंच पर गौरवान्वित किया, बल्कि भारतीय और पश्चिमी संगीत का अनूठा मिश्रण भी पेश किया। इनमें से एक चमकता सितारा हैं डॉ. एल. सुब्रमण्यम, जिन्हें 'भारतीय वायलिन का पगनिनी' भी कहा जाता है। अपनी असाधारण वायलिन वादन शैली, कर्नाटक संगीत की गहरी समझ और ग्लोबल फ्यूजन की रचनाओं के माध्यम से उन्होंने भारतीय संगीत को विश्व स्तर पर एक नई पहचान दी।