जब आजाद भारत का हुआ सबसे बड़ा रिफॉर्म, अरुण जेटली ने 'एक टैक्स, एक बाजार' से बदली देश की आर्थिक तस्वीर
नई दिल्ली, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। 1970 का दशक, यही वह समय था जब एक युवा नेता का उदय हुआ, जिसने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ का चुनाव जीतकर राजनीति के चुनौती भरे मैदान में कदम रखा था और छात्र नेता के रूप में आपातकाल के समय इंदिरा गांधी का विरोध करते हुए अपनी दमदार नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। धीरे-धीरे वह समय आया, जब भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में एक नाम शुमार हुआ, अरुण जेटली का।