स्मृति शेष: जब स्वर साधना बनी जीवन-साधना, ओंकारनाथ ठाकुर की अमर विरासत
नई दिल्ली, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय संगीत जगत के लिए 29 दिसंबर एक ऐसी तिथि है जब स्वर, साधना और संस्कार का एक युग मौन हो गया। साल 1967 में प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री, संगीतज्ञ और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायन के अप्रतिम साधक पंडित ओंकारनाथ ठाकुर ने इस दिन संसार से अलविदा कह दिया था। हालांकि, उनका गाया हुआ स्वर भारतीय चेतना में आज भी गूंजता है। ओंकारनाथ ठाकुर केवल एक गायक नहीं थे, वे संगीत को जीवन और जीवन को साधना मानने वाले व्यक्तित्व थे।