स्मृति शेष : छेनी की गूंज और पत्थर की खामोशी: आधुनिक शिल्प के जनक धनराज भगत
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। कल्पना कीजिए एक ऐसे कलाकार की, जिसकी उंगलियां लकड़ी की कठोरता में संगीत ढूंढ लेती थीं और जिसकी छेनी पत्थर के सीने में छिपे आवाज को दुनिया के सामने लाती थी। यह कहानी है धनराज भगत की। एक ऐसा शिल्पकार जिसने भारत-पाक विभाजन के जख्मों को कला का मरहम बनाया और आधुनिक भारतीय मूर्तिकला की नींव रखी।