'अवसर तेरे लिए खड़ा है...' राष्ट्रकवि की एक पंक्ति ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की बदली दिशा
नई दिल्ली, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। 'अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है...' सन 1912 के आसपास, जब यह पंक्ति एक दुबले-पतले और शांत स्वभाव के कवि की लेखनी से निकली, तो उन्हें शायद ही अंदाजा था कि यह आने वाले दशकों में भारत की राष्ट्रीय चेतना का संकल्प-मंत्र बन जाएगी।