अंग्रेजों से भिड़ने के बाद नाम से जुड़ा 'आजाद', स्वतंत्रता संग्राम से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक सफर ऐसा रहा
नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। 1942 का दौर था, जब 'भारत छोड़ो' आंदोलन पूरे देश में लहर की तरह फैल चुका था। जोश से भरे युवा क्रांतिकारी आजादी के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार थे। ठीक उसी तरह बिहार का एक युवा उसी आंदोलन की राह पर निकल चुका था, जिनका नाम था भागवत झा आजाद। उनके नाम में 'आजाद' जुड़ने की कहानी भी उसी संघर्ष का एक हिस्सा रही है।