डॉ. अचला नागर: बाबूजी की 'बिट्टो', जिन्होंने कलम की ताकत से 'बागबान' को बनाया राष्ट्रीय विमर्श
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। साल था 2003, जब अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी ने बड़े पर्दे पर एक असहाय, लेकिन गरिमामय वृद्ध दंपति का किरदार निभाया, तो पूरा देश रो पड़ा। 'बागबान' सिर्फ एक सुपरहिट फिल्म नहीं थी, यह भारतीय परिवारों के बदलते मूल्यों पर एक तीखा और मार्मिक आईना थी। बुढ़ापे में माता-पिता की उपेक्षा का यह संवेदनशील विषय जिसने हर दर्शक को सोचने पर मजबूर कर दिया, वह किसी विशुद्ध कॉमर्शियल लेखक की कलम से नहीं निकला था। इसके पीछे थीं डॉ. अचला नागर, एक साहित्यिक विद्वान, जिन्हें हिंदी साहित्य के महान लेखक अमृतलाल नागर अपनी 'बिट्टो' कहकर पुकारते थे।