महमूद गजनवी के दौर में एक आवाज जिसने भारत को पढ़ा, समझा और सराहा: अलबरूनी की अनसुनी कहानी
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत पर अरबी भाषा में किसी पुस्तक का होना साहित्य-संसार में एक अनोखी और अत्यंत असंगत बात है। यह देखकर बड़ा आश्चर्य होता है कि एक विदेशी लेखक ने उदार विचार रखे कि हिंदुओं को अपने अध्ययन का प्रिय विषय बनाकर उन पर एक पुस्तकें लिखीं। बात कर रहे हैं एक फारसी विद्वान, धर्मज्ञ और विचारक अलबरूनी की।