हिंदी कविता के 'एंग्री यंग मैन' : मजदूरों की पीड़ा को शब्द देने वाले धूमिल, पूंजीपतियों पर भी उठाए सवाल
नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। सुदामा पांडेय 'धूमिल' की कविताएं न सिर्फ आजादी के सपनों के मोहभंग को उजागर करती हैं, बल्कि पूंजीवाद, राजनीति और आम आदमी की विवशता पर करारा प्रहार करती हैं। यही कारण है कि चालीस के दशक में जन्मे इस कवि की कविताएं आज के दौर में भी प्रासंगिक हैं।