शहीद उधम : 21 सालों का इंतजार, जलियांवाला बाग के हत्यारे को गोलियों से कर दिया छलनी
नई दिल्ली, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। 13 मार्च 1940 की सर्द भरी दोपहर। लंदन का ऐतिहासिक कैक्सटन हॉल खचाखच भरा था। मंच पर ब्रिटिश साम्राज्य के रसूखदार चेहरे बैठे थे और 'अफगानिस्तान' के राजनीतिक भविष्य पर चर्चा चल रही थी। तभी भीड़ के बीच से एक भारतीय युवक उठा। उसकी चाल में गजब का आत्मविश्वास था और आंखों में एक ऐसी आग जो पिछले 21 वर्षों से ठंडी नहीं हुई थी। उसने अपनी ओवरकोट की जेब से एक किताब निकाली, जिसके पन्नों को काटकर उसने बड़ी चतुराई से एक रिवॉल्वर छिपा रखी थी।