स्मृति शेष : प्रकृति, प्रेम और सामाजिक यथार्थ को छूने वाले शास्त्री, बनारस ने गढ़ी लेखनी
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदी साहित्य के प्रगतिशील युग के सबसे मौलिक और जनधर्मी कवियों में त्रिलोचन शास्त्री (मूल नाम वासुदेव सिंह) का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है। आज जब हिंदी कविता बाजारी चमक-दमक और खोखले नारों की शिकार हो रही है, त्रिलोचन की कविताएं याद दिलाती हैं कि सच्ची प्रगतिशीलता नारे में नहीं, जीवन की गहराई में बसती है।