मदन का 'महामना' जीवनवृत्त, 'भिखारियों का राजकुमार' करने लगा निजाम की जूती नीलाम
नई दिल्ली, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। हैदराबाद के निजाम का दरबार लगा था। श्वेत वस्त्र, ललाट पर चंदन लगाए एक तेजस्वी ब्राह्मण, पंडित मदन मोहन मालवीय सामने खड़े थे। वे काशी में एक ऐसे विश्वविद्यालय का स्वप्न लेकर आए थे, जहां भारतीय संस्कार और आधुनिक विज्ञान का संगम हो। जब मालवीय ने चंदा मांगा, तो अहंकारी निजाम ने झिड़कते हुए अपनी पुरानी जूती उनकी ओर उछाल दी और कहा, "यही है मेरे पास देने के लिए।"