भिखारी ठाकुर : नाटकों से परंपराओं को चुनौती, 'बिदेसिया' में दिखाई अंतस की पीड़ा
पटना, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। नाम भले ही भिखारी रहे, लेकिन स्वभाव राजा जैसा। बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं, जो अपने जन्म को सार्थक कर पाते हैं और अपने साथ-साथ पूरे समाज की रूपरेखा को बदलने की ताकत रखते हैं। 18 दिसंबर 1887 को बिहार के छपरा में पैदा हुए भिखारी ठाकुर ने अपने रंगमंच के जादू से समाज की दुर्दशा को दुनिया के सामने रखा।