मोक्ष नगरी का पिशाच मोचन कुंड, जहां भटकती आत्माओं को मिलती है मुक्ति
वाराणसी, 18 अप्रैल (आईएएनएस)। “नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि...” गीता में श्रीकृष्ण बताते हैं कि आत्मा अजर है, अमर है। लेकिन अकाल मृत्यु होने वाले इंसान की आत्मा वर्षों भटकती रहती है। बाबा श्री काशी विश्वनाथ के त्रिशूल पर टिकी नगरी में भटकती आत्मा को भी मोक्ष मिल जाता है। जी हां! गरुण पुराण के काशी खंड में पिशाच मोचन कुंड का उल्लेख मिलता है, जहां पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। यहां पर आत्माओं का उधार भी चुकाया जाता है।