‘अब नाम नहीं काम का काएल है जमाना...’, 'श्रीमद्भगवद्गीता' को उर्दू में जीवंत करने वाले शायर अनवर जलालपुरी
नई दिल्ली, 5 जुलाई (आईएएनएस)। शायरी वह कला है, जो अल्फाजों के जादू से दिलों को जोड़ती है और आत्मा को सुकून पहुंचाती है। इस कला के उस्ताद थे अनवर जलालपुरी, जिन्होंने अपनी शायरी से उर्दू साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी शायरी में प्रेम, दर्शन और देशभक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।