चेन्नई, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (आईआईटी) मद्रास में 'आइडियाज टू इम्पैक्ट' (आई2आई) चैलेंज के दूसरे संस्करण के ग्रैंड फिनाले का शनिवार को आयोजन किया गया। इस दौरान आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए स्कूलों में ही स्थिरता का पाठ शुरू होना चाहिए।
कामकोटि ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि 5 साल की उम्र से ही बच्चों को स्थिरता के बारे में सिखाया जाना चाहिए।
निदेशक ने कहा, "जब मैं स्कूलों को संबोधित करता हूं तो मैं हमेशा कहता हूं कि 5 साल की उम्र से ही बच्चों को स्थिरता के बारे में सिखाया जाना चाहिए क्योंकि यह बेहद महत्वपूर्ण है।"
उन्होंने आगे कहा कि ग्रह वास्तव में खतरे में है और हमें मूल रूप से उन चीजों पर ध्यान देने की आवश्यकता है जिन पर हमें खुद नियंत्रण रखना होगा, जैसे संसाधनों का उपयोग, जीवन जीने का तरीका, आदतें आदि। जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे, सतत विकास लक्ष्यों तक पहुंचना बहुत मुश्किल होगा। इसलिए स्कूल स्तर पर भी हमें स्थिरता का पाठ पढ़ाना शुरू करना होगा।
उन्होंने कहा कि चूंकि स्थिरता से जुड़े घटक हर क्षेत्र का हिस्सा हैं, इसलिए उन्हें शिक्षा, तकनीक और स्टार्ट-अप के साथ व्यवहार में लाना जरूरी है।
उन्होंने आईआईटी मद्रास परिसर में आयोजित आई-टू-आई चैलेंज के बारे में भी बात की, जहां देशभर के युवा नवप्रवर्तकों द्वारा विकसित 38 पर्यावरण-नवाचारों का प्रदर्शन किया गया। प्रत्येक का उद्देश्य स्थिरता, चक्रीय अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन को बढ़ावा देना था।
कामकोटि ने कहा कि जम्मू और देश के विभिन्न हिस्सों तक पूरे भारत में हमारी 38 टीमें हैं। प्रत्येक टीम उत्कृष्ट परियोजनाओं के साथ आई है, जो विशेष रूप से सतत विकास लक्ष्यों पर केंद्रित हैं।
निदेशक ने आईएएनएस को बताया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रचारित 17 सतत विकास लक्ष्य हैं। इनमें से लगभग सात या आठ लक्ष्यों पर यहां के प्रतिभागी ध्यान दे रहे हैं। वे ऐसे उत्पाद लेकर आए हैं जो संभावित रूप से बहुत प्रभावी समाधान साबित हो सकते हैं, जहां हम कुछ अपशिष्ट पदार्थों का पुन: उपयोग कर सकते हैं या हमें प्रदान की जाने वाली कुछ प्राकृतिक ऊर्जा का दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा, "दुनिया भर में हर देश सतत विकास लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध है। 150 करोड़ या 1.5 अरब की आबादी वाला एक विशाल लोकतंत्र होने के नाते तकनीक ही एकमात्र तरीका है जिससे हम इन लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, उस तकनीक को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है।
--आईएएनएस
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