हिंदी के मशहूर आलोचक रामविलास शर्मा, जिनकी रचनाओं में मिलता है भाषा, साहित्य और समाज का मिश्रण
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। ‘हिंदुस्तान हमारा है, प्राणों से भी प्यारा है। इसकी रक्षा कौन करे? सेंत-मेंत में कौन मरे? बैठो हाथ पै हाथ धरे! गिरने दो जापानी बम! सत्यं शिवं सुंदरम्’, ये कविता लिखी थी हिंदी के मशहूर आलोचक डॉ. रामविलास शर्मा ने। जिन्होंने अपनी लेखनी के जरिए भाषा, साहित्य और समाज को एक धागे में पिरोकर उसका मूल्यांकन करने का काम किया।