स्मृति शेष: गजलों का शहजादा, वो जादूगर जिसने साज से रचे जज्बात, निधन के 30 साल बाद मिला फिल्म फेयर अवॉर्ड
नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)। जब सुर किसी जादू की तरह दिल में उतरें और हर धुन में कुछ खास एहसास हो, तो समझ लीजिए वह संगीत मदन मोहन का है। 14 जुलाई, 1975 को हिंदी सिनेमा ने एक ऐसे जादूगर को खो दिया, जिसने अपनी धुनों से गीतों को अमर करने के साथ-साथ लाखों दिलों में भावनाओं का समंदर उड़ेल दिया। मदन मोहन, जिन्हें लता मंगेशकर 'मदन भैया' और 'गजलों का शहजादा' कहती थीं, वह एक फौजी से लेकर संगीत के शिखर तक पहुंचने वाले अनमोल रत्न थे।