माटी, भाषा और अस्मिता के रक्षक रवींद्र केलकर, जिन्होंने कोंकणी को पहचान और गोवा को दिलाया सम्मान
नई दिल्ली, 26 अगस्त (आईएएनएस)। कोंकणी साहित्य के प्रमुख स्तंभों की चर्चा हो और रवींद्र केलकर का नाम न आए, यह असंभव-सा है। रवींद्र केलकर ही थे, जिन्होंने कोंकणी भाषा को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने और गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी किताब 'आमची भास कोंकणिच' (1962) ने कोंकणी भाषा की अस्मिता को स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।