'उर्वशी' के लिए प्राणों की बाजी लगाने को तैयार थे दिनकर, साधना से मिला ज्ञानपीठ सम्मान
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। यूं तो हिंदी साहित्य के आकाश में अनेक सितारे जगमगाए, पर रामधारी सिंह दिनकर उस सूर्य के समान हैं, जिसकी लौ समय के साथ और प्रखर होती चली गई। उन्हें राष्ट्रकवि के रूप में जाना जाता है, पर वास्तव में वे एक विश्वकवि, महाकवि और जनकवि का रूप थे। उनका काव्य ओज से भरपूर है, राग से भरा है और अध्यात्म की गहराइयों में डूबा हुआ भी। इनको समेटकर यही कहा जा सकता है कि उनकी कविताएं आग, राग और अध्यात्म का अनूठा संगम हैं, जो समय की सीमाओं को लांघकर आज भी पाठकों के हृदय को छूती हैं।