शहनाई के जादूगर : शिव और शिवनगरी के प्रेमी थे ‘उस्ताद’, 'मेरी गंगा कहां से लाओगे' कह ठुकरा दिया था अमेरिका का प्रस्ताव
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जब शहनाई बजाते थे तो मानो गंगा की धारा बह उठती थी। छोटे से वाद्ययंत्र के छिद्रों पर उनकी जादुई पकड़ ने शहनाई को भारत की आत्मा और बनारस की पहचान बना दिया और उन्हें 'भारत रत्न' की उपाधि दिलाई। उस्ताद के लिए सबसे बड़ा सम्मान गंगा के घाट और बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी थी। यही कारण है कि जब उन्हें अमेरिका में बसने का प्रस्ताव मिला, तो उन्होंने बड़ी सहजता से जवाब दिया, "अमेरिका में आप मेरी गंगा कहां से लाओगे?”