'बाबू मोशाय' जिनका 'आनंद' बरसों बाद भी दिल के करीब
नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)। आनंद मरा नहीं...आनंद मरते नहीं है। वाकई 1971 से ही आनंद हमारे बीच है। और इसे हम तक पहुंचाया ऋषिकेश मुखर्जी ने। डायरेक्टर जो अपने काम में माहिर थे और अक्सर कहते थे सादगी से अपनी बात कहना आसान नहीं। बावर्ची में उनका किरदार भी तो यही कहता है, इट्स सिंपल टू बी हैप्पी बट डिफिकल्ट टू बी सिंपल।