रवींद्र जैन, आधुनिक युग के सूरदास जिनकी कंठ में था मां सरस्वती का वास
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। 22 जनवरी को रामलला अपने मंदिर में ससम्मान विराजे। इससे पहले अयोध्या के चौक चौराहों पर रवींद्र जैन की आवाज गूंज रही थी। रामानंद सागर की रामायण के भक्ति गीतों और भजनों से लोग सम्मोहित हो रहे थे। हर ओर आधुनिक युग के इस 'सूरदास' की मीठी आवाज में 'राम भक्त ले चला रे राम की निशानी,' 'मंगल भवन अमंगल हारी,' 'रामायण चौपाई' समेत कई भक्ति गीत कानों में रस घोल रहे थे। लग ही नहीं रहा था कि जिनके गीत आत्मा को छू रहे हैं वो 9 अक्टूबर 2015 को ही संसार त्याग बैकुंठ धाम को चले गए हैं।