'नास्तिक' पेरियार जिन्होंने भेदभाव का किया विरोध, यूनेस्को ने कहा 'दक्षिण एशिया का सुकरात'
नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। द्रविड़ आंदोलन के जनक ई.वी. रामासामी 'पेरियार' धारा के विपरीत बहने में माहिर थे। समाज के सेट नियमों को ठेंगा दिखा, प्रचलित धारणाओं को धता-बता आगे बढ़ने में यकीन रखते थे। तार्किक आधार पर हिंदू धर्म की खामियां बताने में गुरेज नहीं किया। फटकारे गए, विरोध हुआ फिर भी जो चाहा उसे कहने से कभी हिचके नहीं। इसी पेरियार ने भविष्य की दुनिया को लेकर सपना संजोया। क्या थी वो संकल्पना? कैसा चाहते थे वह आदर्श समाज?