लांस नायक अल्बर्ट एक्का के साहस के आगे पस्त हो गए थे पाकिस्तानी, फिर बना था बांग्लादेश

लांस नायक अल्बर्ट एक्का के साहस के आगे पस्त हो गए थे पाकिस्तानी, फिर बना था बांग्लादेश

नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय सेना के इतिहास में कई बहादुर जवान हुए हैं। जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मनों को न सिर्फ हराया, बल्कि देश का सिर गर्व से ऊंचा किया। ऐसे ही एक बहादुर जवान लांस नायक अल्बर्ट एक्का हैं।

लांस नायक अल्बर्ट एक्का का जन्म झारखंड के गुमला जिले में 27 दिसंबर 1942 को मरियम और जूलियस एक्का के घर हुआ। बचपन से ही अल्बर्ट निशानेबाजी में निपुण थे और हॉकी भी बहुत अच्छा खेलते थे। एक जिला टूर्नामेंट के दौरान 7वीं बिहार बटालियन के सूबेदार मेजर भागीरथ सोरेन की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने अल्बर्ट को अपनी बटालियन में भर्ती करा लिया।

अल्बर्ट एक्का 7वीं बिहार बटालियन की ‘सी’ कंपनी से जुड़े और बाद में 32वीं गार्ड्स बटालियन के एक गर्वित गार्ड्समैन बने। 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारत के हवाई अड्डों पर बमबारी की और युद्ध की शुरुआत हुई।

1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने पूर्वी मोर्चे पर आक्रामक रणनीति अपनाई ताकि पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से (आज का बांग्लादेश) को अलग किया जा सके। पश्चिमी मोर्चे पर रक्षा रणनीति अपनाई गई ताकि दुश्मन भारतीय क्षेत्र पर कब्जा न कर सके।

इसी दौरान, 3 दिसंबर 1971 को सुबह 2 बजे लांस नायक अल्बर्ट एक्का गंगा सागर क्षेत्र में दुश्मन की मजबूत चौकी पर हमला करने वाली टुकड़ी का हिस्सा थे। दुश्मन की स्थिति बहुत मजबूत और सुरक्षित थी।

हमले के दौरान भारतीय जवानों पर भारी गोलाबारी हुई, लेकिन उन्होंने आगे बढ़कर दुश्मन पर धावा बोला। इस दौरान अल्बर्ट एक्का ने देखा कि एक दुश्मन की लाइट मशीन गन उनकी टुकड़ी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही थी। अपनी जान की परवाह किए बिना वह बंकर पर टूट पड़े और दो दुश्मनों को मार गिराया।

फिर एक मकान की दूसरी मंजिल से मीडियम मशीन गन से फायरिंग शुरू हो गई। अल्बर्ट एक्का पहले ही घायल हो चुके थे, लेकिन फिर भी वह रेंगते हुए उस इमारत तक पहुंचे और बंकर में ग्रेनेड फेंका। एक दुश्मन मारा गया और दूसरा घायल हुआ।

फिर भी फायरिंग जारी रही, तो अल्बर्ट एक्का दीवार फांदकर बंकर में घुस गए और दुश्मन का सामना किया। उन्होंने दोनों खतरनाक ठिकानों को नष्ट कर दिया, जो भारतीय जवानों को भारी नुकसान पहुंचा रहे थे।

लेकिन इस अदम्य साहस के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हुए और अंत में शहीद हो गए। उनके इस असाधारण वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र दिया गया।

इस लड़ाई में पाकिस्तान की हार हुई थी और फिर बाद में पूर्वी पाकिस्तान, जहां लांस नायक अल्बर्ट एक्का ने लड़ाई लड़ी थी, वह पाकिस्तान से अलग हुआ और बांग्लादेश का निर्माण हुआ।

--आईएएनएस

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