जौन जिंदगीनामा : लम्हों को गंवाने में उस्ताद, 'झगड़ा क्यूं करें हम' का सिखाया जीवन-दर्शन
नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएस)। हवा में एक उदास सिसकी घुली हुई है, जैसे कोई अधूरी गजल रुक-रुक कर सांस ले रही हो। अपनी नज्मों और नगमों से जख्मों को फूलों में बदलने वाले शायर जौन एलिया की 8 नवंबर को पुण्यतिथि है, उनको गुजरे कई बरस हो गए। हालांकि, अपनी शायरी के साथ वह अमर हैं और उसी शायरी में झलकता था, उनका जन्मभूमि अमरोहा के प्रति प्रेम और लगाव।