दिवाली स्पेशल: महालक्ष्मी के इस मंदिर में प्रसाद के रूप में भक्तों को मिलते हैं पैसे, धन के खजाने भरती है मां

दिवाली स्पेशल: महालक्ष्मी के इस मंदिर में प्रसाद के रूप में भक्तों को मिलते हैं पैसे, धन के खजाने भरती है मां

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश भर में धन की देवी महालक्ष्मी के कई मंदिर हैं, जहां भक्त कर्ज मुक्ति और आर्थिक परेशानियों से निजात पाने के लिए भक्त मां के दर पर जाते हैं।

हर मंदिर की परंपरा और भव्यता अलग होती है। कहीं महालक्ष्मी गज पर सवार हैं तो कहीं कमल पर, लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम के मंदिर में महालक्ष्मी का आशीर्वाद लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और अपने साथ सोने-चांदी के सिक्के लेकर जाते हैं।

मध्य प्रदेश के रतलाम के माणिक चौक स्थित देवी महालक्ष्मी का मंदिर बहुत दिव्य है। दिवाली और भैया दूज पर मंदिर में खास तैयारी की जाती है। दिवाली के मौके पर मां को नोटों से सजाया जाता है और ये नोट खुद भक्त मां पर अर्पित करते हैं और भाई दूज पर वापस लेकर जाते हैं। भाई दूज पर मंदिर के पुजारी भक्तों को चढ़ाया हुआ पैसा वापस कर देते हैं। इसके अलावा, भक्त दिवाली पर मां की प्रतिमा पर सोने और चांदी के सिक्के भी चढ़ाते हैं, जिसे बाद में प्रसाद स्वरूप भक्तों में बांट दिया जाता है।

मंदिर में महालक्ष्मी अकेले नहीं बल्कि भगवान कुबेर के साथ विराजमान हैं। मंदिर में दोनों देवी-देवताओं की पूजा करने के लिए भक्त दूर-दूर से चलकर आते हैं। भक्तों की मान्यता है कि अगर मंदिर से सोने-चांदी के सिक्के और धन को वापस घर ले जाया जाता है तो घर में धन-संपदा की कमी नहीं होती है और धन के भंडार भरे रहते हैं। इसलिए दिवाली के मौके पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए मंदिर में भीड़ लगी रहती है।

दिवाली के दौरान मंदिर की भव्यता देखने लायक होती है। भक्तों के लिए मंदिर सुबह ही खोल दिए जाते हैं। दिवाली के अगले पांच दिन तक मंदिर में 5 दिनों तक दीपोत्सव का आयोजन होता है। भक्त दीयों से मां के मंदिर को सजाते हैं और मां की विशेष कृपा पाते हैं।

व्यापारियों के बीच मंदिर को लेकर खास आस्था है। व्यापारी समाज के लोग मंदिर में पैसा और आभूषण दिवाली वाले दिन मां को अर्पित करते हैं और 5 दिन बाद वापस ले जाकर अपने लॉकर में रख देते हैं। उनका मानना है कि उस पैसे को खर्च नहीं किया जाता, क्योंकि उस पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त है।

--आईएएनएस

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