चक्रपाणी मंदिर : जहां होती है सुदर्शन चक्र की पूजा, उग्र रूप में विराजमान भगवान विष्णु

चक्रपाणी मंदिर: देश का पहला मंदिर जहां होती है सुदर्शन चक्र की पूजा, उग्र रूप में विराजमान हैं भगवान विष्णु

नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत देश के हर मंदिर में 33 कोटि देवी-देवताओं में से किसी न किसी को पूजा जाता है, लेकिन तमिलनाडु में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान की नहीं बल्कि उनके अस्त्र की पूजा होती है।

यह मंदिर अपनी वास्तुकला और इतिहास दोनों को लेकर प्रसिद्ध है। हम बात कर रहे हैं भगवान विष्णु को समर्पित चक्रपाणी मंदिर की, जहां भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की पूजा होती है। मान्यता है कि यह मंदिर धर्म और पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखता है।

तमिलनाडु राज्य के कुंभकोणम में, भगवान विष्णु को समर्पित चक्रपाणी मंदिर है। यह मंदिर इसलिए अनोखा है क्योंकि यहां धर्म और न्याय के प्रतीक सुदर्शन चक्र की पूजा होती है।

मंदिर में भगवान विष्णु की एक प्रतिमा है, जो उग्र रूप में है। प्रतिमा की आठ भुजाएं हैं और प्रत्येक भुजा अस्त्र से सुशोभित है। यह पहली प्रतिमा है, जिसमें भगवान विष्णु का तीसरा नेत्र दिखाया गया है। यह तीसरा नेत्र भगवान शिव का प्रतीक है, जिन्होंने खुद भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था।

कावेरी नदी के तट पर स्थापित मंदिर को लेकर कहा जाता है कि जब धरती पर असुर राजा जलंधरासुर का अत्याचार बढ़ गया, तब भगवान विष्णु ने जलंधरासुर का वध करने के लिए पाताल लोक से सुदर्शन चक्र को बुलाया और राक्षस का अंत किया। सुदर्शन चक्र की रोशनी सूर्य से भी तेज थी और नदी किनारे स्नान कर रहे भगवान ब्रह्मा ने चक्र की शक्ति को देखा और कावेरी नदी के तट पर मंदिर की स्थापना की।

कहा जाता है कि सुदर्शन चक्र की रोशनी देख सूर्य देव भी अचंभित हो गए थे और उन्होंने चक्र के तेज को कम करने की कोशिश की थी, लेकिन जब चक्र से स्वयं भगवान विष्णु प्रकट हुए, तो सूर्य भगवान को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने क्षमा मांगी।

भक्तों का मानना है कि मंदिर में दर्शन करने से नौ ग्रह संतुलित हो जाते हैं और भय से मुक्ति मिलती है। मंदिर में भक्त भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विशेष अनुष्ठान सुदर्शन यज्ञ कराते हैं और भगवान को तुलसी, माला, और प्रसाद के रूप में आटे का हलवा चढ़ाते हैं।

--आईएएनएस

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