पुरुषोत्तम दास टंडन : हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने वाले स्वतंत्रता सेनानी की अमर गाथा
नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)। स्वतंत्र भारत के 21वीं सदी में आज जब हम भाषाई संकट और पहचान की बहस के दौर से गुजर रहे हैं, ऐसे में एक शख्स का जीवन और उनके विचार फिर से प्रासंगिक हो उठते हैं। 1 अगस्त 1882 को प्रयागराज में जन्मे इस विराट व्यक्तित्व ने केवल स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया, बल्कि स्वतंत्र भारत की आत्मा को एक स्वर, एक भाषा और एक विचार देने की दिशा में अनूठा योगदान दिया।