भारत की सामूहिक भावना का वर्णन करती है संविधान की प्रस्तावना : जेजीयू में संविधान दिवस व्याख्यान में गोपालकृष्ण गांधी
सोनीपत, 30 नवंबर (आईएएनएस)। “भारतीय संविधान की प्रस्तावना दार्शनिक और राजनीतिक रूप से आशावादी और अद्वितीय है। यह हमें पुस्तकों की इस पुस्तक का लेखक, मालिक और प्राप्तकर्ता बनाता है। हम, भारत के लोग...यह अंग्रेजी में लिखा गया है, लेकिन गैर-अंग्रेजी भाषाओं में अनुवाद वास्तव में हमें बताता है कि हम कौन हैं (वयं भारतस्य जना)। यह हमें भारत की सामूहिक भावना की ताकत का एहसास कराता है। कहा गया, भारत का संविधान निर्दोषों के लिए ईमानदारों और आकांक्षाओं के लिए आदर्शवादियों द्वारा बनाया गया है। संविधान के उपहार के साथ चार अन्य चीजें आईं: राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रीय आदर्श वाक्य - सत्यमेव जयते - और प्रतीक। राष्ट्रीय आदर्श वाक्य के रूप में केवल सत्य की ही जीत होती है, यह निर्दोष है, क्योंकि यह सही या गलत या व्यक्तियों को नहीं देखता है।'' ये बातें 26 नवंबर, 1949 को भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर पूर्व उच्चायुक्त और राजदूत व पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल प्रोफेसर गोपालकृष्ण गांधी ने संविधान दिवस व्याख्यान में कही।