बलदेव मिश्र : हिंदी के पहले डी. लिट., रविंद्र नाथ टैगोर से लेकर राजेंद्र प्रसाद तक करते थे पसंद
नई दिल्ली, 12 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी एक भाषा से बढ़कर भारत की आत्मा है। इसे सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र ने सच कर दिखाया। उनकी उपलब्धियां इतनी हैं कि उनके बारे में कुछ शब्दों में लिखना असंभव है। 12 सितंबर 1898 को राजनांदगांव में पैदा हुए बलदेव मिश्र की आज 128वीं जयंती है। इस लिहाज से भी उनके बारे में जानना जरूरी है।