वर्षा ऋतु के अंतिम चरण में बढ़ रहे स्वास्थ्य जोखिम, आयुर्वेदिक उपायों से पाएं राहत
नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)। मानसून अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। आयुर्वेद में इसे 'वर्षा ऋतु' के नाम से जाना जाता है और इस समय सबसे ज्यादा शरीर में वात दोष का प्रकोप देखा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस मौसम में वात दोष के असंतुलन के कारण स्नायु संबंधी विकार, जैसे जोड़ों में दर्द, पीठ दर्द और थकावट की समस्या बढ़ जाती है। साथ ही, पित्त का संचय भी शुरू हो जाता है, जिससे यकृत यानी लिवर, पित्ताशय और मूत्र मार्ग से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।