जयंती विशेष: भगवतीचरण वर्मा जिन्होंने पाप-पुण्य को आधार बना रच डाली ‘चित्रलेखा’
नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)। ‘पाप क्या, पुण्य क्या? ’ इस भेद को जानने की कोशिश करते शिष्य विशालदेव-श्वेतांक और उनके सवालों का उत्तर देते महाप्रभु रत्नाम्बर... उपन्यास पहली पंक्ति ही पाठक को मोहपाश में बांध देती है। फिर कई पात्र आते हैं जो अंत तक पाप-पुण्य की खोज करते रहते हैं और इसी तलाश का सार है 'चित्रलेखा'। कालजयी कृति जिसकी रचना की हिंदी जगत के नामी साहित्यकार भगवतीचरण वर्मा ने।