अकबर इलाहाबादी : हिन्दुस्तानी ज़बान और तहज़ीब के दिलेर शायर
नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। अकबर हुसैन, जो बाद में अकबर इलाहाबादी हो गए, उन्होंने अपनी शायरी में युवाओं की जिंदगी को बहुत ही खूबसूरती से बयां किया है। "छोड़ लिटरेचर को अपनी हिस्ट्री को भूल जा, शैख़-ओ-मस्जिद से तअल्लुक़ तर्क कर स्कूल जा, चार-दिन की ज़िंदगी है कोफ़्त से क्या फ़ायदा, खा डबल रोटी क्लर्की कर खुशी से फूल जा"। अकबर इलाहाबादी की यह शायरी आज के दौर में भी बहुत प्रासंगिक है।