नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। हिंदू धर्म में शिवलिंग को महादेव का अद्वितीय रूप माना जाता है। यह केवल भगवान शिव का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसमें पूरे ब्रह्मांड और विभिन्न देवी-देवताओं का स्थान माना गया है। शिवलिंग के अलग-अलग भागों में कई देवी-देवताओं और उनके प्रतीकों का निहित महत्व है।
सीधा चरण: शिवलिंग के सीधे चरण को श्री गणेश जी का स्थान माना जाता है। यह भाग भक्तों के लिए सफलता और बाधाओं से मुक्ति का प्रतीक है। गणेश जी के आशीर्वाद से श्रद्धालु अपने जीवन के सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं।
बाएं चरण : शिवलिंग के बाएं चरण में श्री कार्तिकेय जी का निवास माना गया है। कार्तिकेय जी युद्ध और साहस के देवता हैं। इस भाग की पूजा करने से भक्तों में साहस, वीरता और निर्णय क्षमता बढ़ती है।
दोनों चरणों के बीच सर्पाकार भाग : शिवलिंग के चरणों के बीच का सर्पाकार भाग भगवान शंकर की पुत्री अशोक सुंदरी का स्थान है। यह भाग जीवन में संतुलन, प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक है।
शिवलिंग के नीचे गोल भाग: शिवलिंग के नीचे गोल भाग को माता पार्वती का हस्तकमल कहा जाता है। यह भाग शक्ति, समर्पण और मातृत्व का प्रतीक है। पार्वती जी की कृपा से जीवन में स्थिरता और परिवार में सुख-शांति आती है।
शिवलिंग: शिवलिंग का मुख्य भाग स्वयं महादेव जी का स्थान है। यह शक्ति, ब्रह्मांडीय ऊर्जा और दिव्यता का केंद्र माना जाता है।
जहां से जल नीचे गिरता है : शिवलिंग का जल जहां से नीचे गिरता है, वह 33 कोटि देवी-देवताओं का स्थान है। इसका स्पर्श श्रद्धालुओं को पवित्रता और आध्यात्मिक शुद्धता प्रदान करता है।
शिवलिंग के ऊपर कलश : शिवलिंग के ऊपर स्थित कलश में भगवान शंकर की 5 पुत्रियों का निवास माना गया है। यह भाग जीवन में संतुलन, समृद्धि और चारित्रिक पूर्णता का प्रतीक है।
इस प्रकार शिवलिंग केवल भगवान शिव का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसमें सम्पूर्ण ब्रह्मांडीय ऊर्जा और देवी-देवताओं का स्थान निहित है। प्रत्येक भाग की पूजा और ध्यान से भक्तों का मन, शरीर और आत्मा सभी स्तरों पर शुद्ध और सशक्त होता है।
--आईएएनएस
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